हर बार इक नया रगं लेकर मोहब्बत का वो मिलता रहा मुझसे
ये जानकर के फितरत में दगा है उसकी मैं वफा करता रहा उससे
फिर कैसे करता गिला उससे जब खता ही अपनी थी......
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तेरे संग बीती शामें बेहद याद आएगी,
आज तेरे दूर जाने के बाद.....
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बहुत चोट खाया है दिल,
अब रिश रिश के तेरी यादें निकल रही है....
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हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी
हर कोई खुश रहे ये चाहत है मेरी...
भले ही मुझे कोई याद करे या ना करे
हर अपने को याद करना आदत है मेरी...
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इच्छाओं का समुद्र है
और तू समुद्र के उस तरफ है
मैं समुद्र के इस तरफ हूं
तुझ तक पहुंचने के लिए
एहसासों की पगडंडी पर
सपनो की गठरी लेकर निकल पड़ी हूं
ये जानकर के फितरत में दगा है उसकी मैं वफा करता रहा उससे
फिर कैसे करता गिला उससे जब खता ही अपनी थी......
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तेरे संग बीती शामें बेहद याद आएगी,
आज तेरे दूर जाने के बाद.....
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बहुत चोट खाया है दिल,
अब रिश रिश के तेरी यादें निकल रही है....
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हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी
हर कोई खुश रहे ये चाहत है मेरी...
भले ही मुझे कोई याद करे या ना करे
हर अपने को याद करना आदत है मेरी...
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इच्छाओं का समुद्र है
और तू समुद्र के उस तरफ है
मैं समुद्र के इस तरफ हूं
तुझ तक पहुंचने के लिए
एहसासों की पगडंडी पर
सपनो की गठरी लेकर निकल पड़ी हूं
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