दुश्मनों से मोहब्बत होने लगी मुझको,
जैसे जैसे अपनो को आजमाते चले गए...
खुदा हाफिज़ भी कह दिया अब हमने उनको...
बस अब रिश्ता दफ़नाने की रस्म बाकी है...
न आह सुने दी न तड़प दिखाई दी..
फ़ना हो गए तेरे इश्क में बड़ी ख़ामोशी के साथ..!
गिरते आसू कौन देखता यहाँ पर
झूठी मुस्कान के दीवाने है यहाँ सारे
सूना है आप माहिर है हवा चलाने में...
पर हम भी हुनर ना छोड़ेंगे अपना दिया जलाने का...
कितनी झूठी है ना मोहब्बत की कसमे,
देखो ना ! तुम भी जिन्दा हो, मै भी जिन्दा हुँ...!!
जैसे जैसे अपनो को आजमाते चले गए...
खुदा हाफिज़ भी कह दिया अब हमने उनको...
बस अब रिश्ता दफ़नाने की रस्म बाकी है...
न आह सुने दी न तड़प दिखाई दी..
फ़ना हो गए तेरे इश्क में बड़ी ख़ामोशी के साथ..!
गिरते आसू कौन देखता यहाँ पर
झूठी मुस्कान के दीवाने है यहाँ सारे
सूना है आप माहिर है हवा चलाने में...
पर हम भी हुनर ना छोड़ेंगे अपना दिया जलाने का...
कितनी झूठी है ना मोहब्बत की कसमे,
देखो ना ! तुम भी जिन्दा हो, मै भी जिन्दा हुँ...!!
No comments:
Post a Comment